ऐसा अक्सर होता है तुम्हें कमरे में बैठे-बैठे घुटन-सी महसूस होती है और तुम उठ कर खिड़की की चिटकनी खोल देते हो तुम्हारा समूचा अस्तित्व बाहर को छिटका-सा पड़ता है तुम बाहर की हवाओं के प्रति भिक्षा-पात्र बन जाते हो.
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चिटकनी ऐसा अक्सर होता है तुम्हें कमरे में बैठे-बैठे घुटन-सी महसूस होती है और तुम उठ कर खिड़की की चिटकनी खोल देते हो तुम्हारा समूचा अस्तित्व बाहर को छिटका-सा पड़ता है तुम बाहर की हवाओं के प्रति भिक्षा-पात्र बन जाते हो.
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दरअसल, स्लीपर क्लास की कौन सी खिड़की की चिटकनी खराब है, किसका शीशा टूटा हुआ है और कौन सी खिड़की का शटर या तो खुल नहीं रहा है या बंद नहीं हो रहा है, इसकी जानकारी संचार साधनों के इतने विकास के बावजूद आपको नहीं मिल पाएगी।